WRITER JUNCTION – RADIO WRITER CLUB
हालात कितने बदल गए हैं ,लोग कितने बदल गए हैं, ये सब देखती हूँ तो अतीत और वर्तमान में सामंजस्य बिठाते हुए ख़ुद को बड़ा स्थिर सा महसूस करती हूं कई बार ।इस स्थिर मनःस्थिति में कुछ शब्दों को समेट दे रही हूं शायद ये भी एक पागलपन ही हो मेरा। लेकिन उम्मीद है कि ये पागलपन भी बहुतों को महसूस होगा कि कोरा सच है।
●दिल की हलचल , मुश्किल पल-पल
राह बड़ी बंजर,अपने ही लिए खंजर।
हिम्मत हार रही है कोशिश हार रही है।
उम्मीद की किरण हमको सम्भाल रही है।
●हर तरफ द्वंद्व छिड़ा है
आत्ममुग्धता में सम्मान खड़ा है।
हर किसी का अपना मन्त्र
कैसे बनाएं अपना तन्त्र
ढूंढ रहे सब शिव बनने का यंत्र।
●हवा चौतरफा जहरीली है
संघर्ष की राह बड़ी पथरीली है।
पागलपन को पाले बैठी हूं
हवा का रुख बदलने को,
और लोग कह रहे इसकी आंखें देखो
कितनी नशीली है?
कैसे बतलाऊँ मन्ज़िल तक पहुंचे बिन, नींद नहीं आती।
बातों से बसर करने वालों जब बंजर पर अकेले ही चलना पड़ता है,
तब पल पल घायल होते मन में जो सैलाब उमड़ता है
वो रक्तवेग ही उन्मादी सी आंखों में नशा सरीखा लगता है।
शालिनी सिंह©®
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