अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस 2025: प्रकृति के सफाईकर्मियों को बचाने का संकल्प
लखनऊ, 6 सितंबर | SH Desk
हर साल सितंबर के पहले शनिवार को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस (International Vulture Awareness Day) मनाया जाता है। इस साल यह दिवस 6 सितंबर को मनाया गया, जिसका उद्देश्य गिद्धों के संरक्षण और पारिस्थितिक संतुलन में उनकी अहमियत के बारे में लोगों को जागरूक करना है।
गिद्धों को अक्सर प्रकृति के सफाई कर्मचारी (Nature’s Sanitation Workers) कहा जाता है। ये पक्षी मृत पशुओं के शव खाकर न केवल पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखते हैं, बल्कि घातक बीमारियों के प्रसार को रोकने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इस कारण गिद्ध हमारे पर्यावरण और जैव-विविधता के लिए अनमोल हैं।
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गिद्धों की पारिस्थितिक भूमिका
गिद्ध मृत पशुओं के अवशेष साफ़ कर प्राकृतिक कचरा प्रबंधन का कार्य करते हैं।
बीमारियों और संक्रमण के प्रसार को रोकने में मदद करते हैं।
यह पक्षी पारिस्थितिकी तंत्र में एक संतुलन बनाए रखने का महत्वपूर्ण माध्यम हैं।
गिद्ध पृथ्वी पर एकमात्र ऐसे स्थलीय कशेरुकी प्राणी हैं, जो लगभग पूरी तरह मृत पशुओं पर निर्भर रहते हैं।
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दिवस का इतिहास
इस दिवस को मनाने की शुरुआत 2009 में दक्षिण अफ्रीका और यूनाइटेड किंगडम से हुई थी।
शुरुआत में यह अभियान गिद्धों के तेजी से घटती आबादी को बचाने के लिए शुरू किया गया था। आज यह एक वैश्विक आंदोलन का रूप ले चुका है, जिसमें पर्यावरण प्रेमी, वैज्ञानिक और विभिन्न देश शामिल हैं।
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उत्तर प्रदेश सरकार का संदेश
वन्य एवं पर्यावरण मंत्री अरुण कुमार सक्सेना ने इस अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए कहा:
> “गिद्ध प्रकृति के सफाई कर्मचारी हैं। हमें पक्षियों को बचाने की दिशा में गंभीर प्रयास करने होंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि गिद्ध संरक्षण सिर्फ एक प्रजाति को बचाने का प्रयास नहीं है, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य, पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा का संकल्प भी है।
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वीडियो: अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस पर कार्यक्रम की झलकियां
नीचे दिए गए वीडियो में देखें अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस पर आयोजित कार्यक्रम और मंत्री अरुण कुमार सक्सेना का विशेष संदेश:
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निष्कर्ष
अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि प्रकृति का हर जीव हमारे लिए बेहद जरूरी है।
गिद्धों की घटती संख्या हमारे पारिस्थितिक तंत्र के लिए खतरे की घंटी है।
इसलिए इनकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे।
आइए, हम सब मिलकर इस दिवस को सिर्फ एक दिन की पहल तक सीमित न रखें, बल्कि इसे एक सतत जागरूकता अभियान में बदलें।
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