कविता शीर्षक – परिस्थिति/ राम केवल यादव

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ए परिस्थिति थकना नहीं मुझे

 तू चाहे जितना जोर लगाले

http://राम%20केवल%20यादव

ए परिस्थिति थकना नहीं मुझे

 तू चाहे जितना जोर लगाले,  

 मैं तुझको गले लगालूं

तू मुझको गले लगाले  

हार मान लूं  ए

मेरे तन के  कतरे-कतरे में नहीं है,

यदि भूखा भी सोना पड़ जाए 

सब मेरे लिए सही है,

 मैं अपना जोर लगालूँ

तू अपना जोर लगाले

महाराजा,वीर सपूत यह दिन भी झेले हैं ,

लोग आज भी झेल रहें है झोपड़ी में पड़े अकेले हैं

झेल रहे है दुनिया में बड़े बड़े दिल वाले,

मैं अपना जोर लगालूं तू अपना जोर लगाले,

सत्य अहिंसा परिश्रम के बल  अपने दुख को काटूंगा,

 थोड़ा सा परोपकारी बन कर गैरों का भी दुख बाटूंगा,

फिर भी चाहे जितना मुझको और सताले,

मैं अपना जोर लगालूं

तू अपना जोर लगाले

स्वरचित

#Ramkevalyadav✍️✍️

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