“नीली छतरी के रक्षक – ओजोन परत और हमारी ज़िम्मेदारी”

प्रिय पर्यावरण प्रेमी साथियों, हरित प्रणाम!!
सोचिए…
अगर सूरज की आग सीधी आपकी त्वचा को जला दे, अगर आँखें बिना धूप के भी अंधेरा देखने लगें, अगर हवा में हर सांस के साथ बीमारी का खतरा मंडराने लगे—तो कैसी होगी हमारी धरती?
यही डरावना सच होगा अगर ओजोन परत (Ozone Layer) खत्म हो जाए।
ओजोन परत हमारी पृथ्वी की नीली छतरी है, जो हमें सूर्य की खतरनाक पराबैंगनी किरणों (UV Rays) से बचाती है।
लेकिन इंसानी लापरवाहियों और प्रदूषण की वजह से इस छतरी में धीरे-धीरे छेद हो रहे हैं।
ओजोन लेयर हमारे वायुमंडल की वह पतली ढाल है, जो हमें सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी (UV) किरणों से बचाती है। कल्पना कीजिए, अगर यह ढाल कमजोर पड़ जाए तो क्या होगा?
वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि ओजोन लेयर में छेद होता है, तो सूर्य की पराबैंगनी किरणें सीधे धरती तक पहुँचने लगेंगी। इन किरणों के कारण स्किन कैंसर, मोतियाबिंद, मलेरिया और अन्य संक्रमक रोगों का खतरा बहुत तेजी से बढ़ जाता है।
आंकड़ों के अनुसार, अगर ओजोन लेयर का दायरा 1% भी घटता है और 2% तक UV किरणें इंसानों तक पहुँचती हैं, तो बीमारियों का खतरा 10 से 15% तक बढ़ सकता है।
संयुक्त राष्ट्र (UNEP) की रिपोर्ट बताती है कि यदि ओजोन परत पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाए तो धरती पर जीवन का संतुलन ही बिगड़ जाएगा।

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ओजोन को नुकसान पहुँचाने वाले कण बनते कैसे हैं?
ओजोन परत को बिगाड़ने वाले मुख्य कारण इंसान द्वारा फैलाया गया प्रदूषण ही है।
1. नाइट्रोजन ऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन – जब ये गैसें सूर्य की किरणों से रासायनिक प्रतिक्रिया करती हैं तो ओजोन प्रदूषक कण बनते हैं।
2. वाहनों और फैक्ट्रियों से निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड व अन्य जहरीली गैसें – ये वायुमंडल में मिलकर ओजोन परत के लिए सबसे बड़ा खतरा बनती हैं।
3. क्लोरो-फ्लोरो-कार्बन (CFCs) – रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर और स्प्रे में इस्तेमाल होने वाली CFC गैसें सबसे ज्यादा ओजोन को नष्ट करती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार एक कण CFC का अणु, लगभग एक लाख ओजोन अणुओं को नष्ट कर सकता है।

वैज्ञानिकों ने तय किया है कि 8 घंटे के औसत में ओजोन प्रदूषक की मात्रा 100 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसके ज्यादा होते ही यह इंसानों और जानवरों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो जाता है।
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ओजोन परत और जलवायु परिवर्तन
ओजोन परत का क्षरण केवल इंसानी स्वास्थ्य पर ही असर नहीं डालता बल्कि यह जलवायु परिवर्तन को भी प्रभावित करता है।
दक्षिण ध्रुव (Antarctica) के ऊपर ओजोन छिद्र (Ozone Hole) का आकार 2022 में लगभग 23 मिलियन वर्ग किलोमीटर तक पहुँच गया था।
इससे वहाँ का तापमान और मौसम पैटर्न असामान्य रूप से बदलने लगे।
वैज्ञानिकों का मानना है कि ओजोन परत का क्षरण और ग्लोबल वार्मिंग एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और मिलकर धरती को और अधिक गर्म बना रहे हैं।

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हम क्या कर सकते हैं?
ओजोन परत को बचाना केवल सरकारों या वैज्ञानिकों की जिम्मेदारी नहीं है, यह हर इंसान का कर्तव्य है।
1. अधिक से अधिक पेड़ लगाएँ और उनकी देखरेख करें। एक पेड़ सालभर में लगभग 118 किलो ऑक्सीजन देता है और करीब 22 किलो कार्बन डाइऑक्साइड सोख लेता है।
2. वाहनों का कम इस्तेमाल करें और साइकिल या पब्लिक ट्रांसपोर्ट को अपनाएँ।
3. CFC मुक्त उपकरणों का उपयोग करें।
4. पर्यावरण से जुड़ी नीतियों और अंतर्राष्ट्रीय समझौतों जैसे Montreal Protocol (1987) का समर्थन करें, जिसने CFCs को बंद करने में बड़ी भूमिका निभाई।
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निष्कर्ष
ओजोन परत धरती की ढाल है। अगर यह खत्म हो गई तो हमारी आने वाली पीढ़ियाँ स्वस्थ जीवन, स्वच्छ वायु और सुरक्षित पर्यावरण से वंचित हो जाएँगी।
आइए, हम सब मिलकर वायु प्रदूषण को रोकने और हरियाली बढ़ाने की दिशा में काम करें।
जय वृक्ष देव… जय धरती माँ!!
ट्री मैन/ऑक्सीजन मैन – अनूप मिश्रा अपूर्व
सीनियर सब इंस्पेक्टर (प्रभारी – पुलिस कंट्रोल रूम, उन्नाव)
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