चित्रकथी आर्ट स्कूल में “Vocal for Local” थीम पर मिट्टी कला कार्यशाला का आयोजन
“अपना बनाओ – अपना अपनाओ” के संदेश के साथ चित्रकथी आर्ट स्कूल में “Vocal for Local” और “पर्यावरणीय स्थिरता” की थीम पर एक दिवसीय मिट्टी कला कार्यशाला का आयोजन हुआ। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य था — विद्यार्थियों को भारतीय पारंपरिक कारीगरी की जड़ों से जोड़ना, स्थानीय संसाधनों के सम्मान का भाव जगाना और साथ ही पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना।
स्कूल के निदेशक श्री अशुतोष वर्धन ने बताया कि आज जब प्लास्टिक और मशीननिर्मित वस्तुओं का दौर है, तब मिट्टी कला जैसी देशज विधाएं “वोकल फॉर लोकल” के भाव को सशक्त बनाती हैं। उन्होंने कहा कि मिट्टी के बर्तन न केवल सुंदर होते हैं, बल्कि ये पर्यावरण के लिए पूरी तरह सुरक्षित हैं और हमारे ग्रामीण कारीगरों की आजीविका से भी सीधे जुड़े हैं। इसीलिए विद्यार्थियों को ऐसी कला से जोड़ना न केवल रचनात्मक शिक्षा का हिस्सा है बल्कि “आत्मनिर्भर भारत” के सपने को साकार करने की दिशा में एक व्यवहारिक कदम भी है।
कार्यशाला में पॉटरी कलाकार श्री मनोज कुमार और शुभी ने बच्चों को मिट्टी से जुड़ने, उसे आकार देने, रंगों के संतुलन और पारंपरिक तकनीकों के साथ आधुनिक प्रयोगों की जानकारी दी। विद्यार्थियों ने स्वयं अपने हाथों से उपयोगी व सजावटी वस्तुएँ बनाईं — किसी ने दीया गढ़ा, किसी ने फूलदान, तो किसी ने मिट्टी के छोटे खिलौने तैयार किए। बच्चों के चेहरों पर मिट्टी के रंगों के साथ उत्साह और संतोष की चमक साफ झलक रही थी।
प्रतिभागी जिगिशा, त्रियाक्ष, आदित्य, अविष्का, जिहान, पवलीन, मिशिका, शैला, सूर्यांश और सर्वज्ञ ने इस अनुभव को यादगार बताया। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला ने उन्हें समझाया कि “लोकल” का मतलब सिर्फ स्थानीय वस्तुएँ नहीं, बल्कि अपनी मिट्टी और अपनी परंपरा से जुड़ना भी है।
कार्यक्रम के अंत में विद्यार्थियों द्वारा तैयार कलाकृतियों की प्रदर्शनी लगाई गई, जिसमें अभिभावकों और आगंतुकों ने बच्चों की मेहनत और कलात्मकता की खूब सराहना की।
“वोकल फॉर लोकल” की भावना को आत्मसात करते हुए यह कार्यशाला न केवल कला का उत्सव बनी, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन, स्थानीय कारीगरों के सम्मान और सतत विकास की दिशा में प्रेरक संदेश भी दे गई।
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