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शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु रागिनी उपाध्याय स्वर्ण पदक की शुरुआत”

रागिनी उपाध्याय स्वर्ण पदक – ललित कला संकाय में एक नई परंपरा की शुरुआत

लखनऊ विश्वविद्यालय के ललित कला संकाय (कला एवं शिल्प महाविद्यालय) में 2025 से एक गौरवशाली परंपरा की शुरुआत हुई है। पहली बार कला शिक्षा में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले छात्र को “रागिनी उपाध्याय स्वर्ण पदक” से सम्मानित किया गया। अगस्त 2024 में इस स्वर्ण पदक की स्थापना को स्वीकृति मिली थी, और अब से यह हर वर्ष विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में प्रदान किया जाएगा।

लखनऊ कला महाविद्यालय का स्वर्णिम इतिहास

लखनऊ कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स देश के सबसे पुराने कला महाविद्यालयों में गिना जाता है। इसकी स्थापना 1892 में विंगफील्ड मंज़िल, बनारसी बाग में हुई थी। कई पड़ावों से गुजरते हुए यह संस्थान 1911 में टैगोर मार्ग स्थित अपने वर्तमान भवन में आ गया। किसी समय यह परिसर गोमती तटबंध से लेकर वास्तुकला संकाय तक फैला हुआ था।

1974 में कला महाविद्यालय लखनऊ विश्वविद्यालय का हिस्सा बना। तब से यहां से निकले कलाकारों ने देश-विदेश में अपनी कला का परचम लहराया है। इस संस्थान ने अब तक भारत को पाँच पद्मश्री सम्मानित कलाकार दिए हैं – सुधीर रंजन खस्तगीर, सुकुमार बासु, रणवीर सिंह बिष्ट, यशोधर मठपाल और श्याम शर्मा। यही नहीं, नेपाल, पाकिस्तान और कई अन्य देशों में यहां के छात्र अपनी रचनात्मकता का लोहा मनवा चुके हैं।

महाविद्यालय की इमारत स्वयं कला का एक जीवंत संग्रहालय है। एल.एम. सेन, असित कुमार हालदार, मदन लाल नागर, अवतार सिंह पंवार, श्रीधर महापात्र, दिनेश प्रताप सिंह और असद अली जैसे कलाकारों की कृतियां यहां आज भी मौजूद हैं।

कला महाविद्यालय, लखनऊ

रागिनी उपाध्याय और स्वर्ण पदक की स्थापना

नेपाल की ख्यात कलाकार और लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा रागिनी उपाध्याय ने अपने गुरुओं और alma mater के प्रति आभार व्यक्त करने हेतु इस स्वर्ण पदक की स्थापना की। रागिनी उपाध्याय फाउंडेशन और ललित कला प्रज्ञा प्रतिष्ठान नेपाल की अध्यक्ष होने के नाते उन्होंने यह निर्णय लिया कि हर साल कला शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र को यह सम्मान मिलेगा।

उनका मानना है कि—

“यह मेरे लिए गर्व की बात है कि इस महाविद्यालय में पढ़ाई के दौरान मुझे जो मार्गदर्शन मिला, उसी ने मेरी कला यात्रा को दिशा दी। अब इस स्वर्ण पदक के माध्यम से आने वाली पीढ़ियाँ भी प्रेरणा पाएंगी।”

पहला स्वर्ण पदक और अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव

लखनऊ विश्वविद्यालय के 68वें दीक्षांत समारोह (2025) में पहली बार यह पदक श्रीलंका के छात्र हेवा कालू अन्नक्कागे वेनुरा दिलशंका डी सिल्वा को प्रदान किया गया।

वेनुरा ने मास्टर ऑफ विज़ुअल आर्ट्स (MVA) में पेंटिंग विषय से सर्वोच्च अंक प्राप्त किए। उन्हें यह सम्मान माननीय राज्यपाल उत्तर प्रदेश द्वारा प्रदान किया गया।

वेनुरा ने अपने भाव साझा करते हुए कहा—

“मेरे लिए यह गर्व की बात है कि मुझे स्नातकोत्तर डिग्री में उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु ‘रागिनी उपाध्याय स्वर्ण पदक’ से सम्मानित किया गया। यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है, जिसे मैं सदैव संजोकर रखूँगा।”

उनकी कलाकृतियाँ रंग योजना, रचना और मानव आकृतियों की गहरी अभिव्यक्ति से भरपूर हैं। लगभग 50 पेंटिंग्स के जरिए उन्होंने अपनी कला को परिपक्वता के साथ प्रस्तुत किया।

संस्थान और कला जगत की प्रतिक्रियाएँ

रतन कुमार (डीन/प्रिंसिपल, ललित कला संकाय)

“114 वर्षों के इतिहास में पहली बार हमारे संकाय को ऐसा स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ है। यह परंपरा आने वाले समय में और भी पदकों का मार्ग प्रशस्त करेगी।”

जय कृष्ण अग्रवाल (वरिष्ठ कलाकार एवं पूर्व प्रधानाचार्य)

“रागिनी उपाध्याय ने अपने गुरुओं और संस्थान के प्रति जो श्रद्धा दिखाई है, वह प्रेरणादायक है। उनकी यह पहल भावी कलाकारों को प्रोत्साहित करती रहेगी।”

प्रोफेसर आलोक कुमार

उन्होंने श्रीलंका के छात्रों और उनके योगदान को रेखांकित करते हुए कहा—

“वेनुरा दिलशंका सबसे होनहार छात्र रहे हैं। उनकी उपलब्धियाँ भारत और श्रीलंका के बीच सांस्कृतिक सेतु का कार्य करेंगी।”

नई परंपरा, नई प्रेरणा

रागिनी उपाध्याय स्वर्ण पदक केवल एक सम्मान नहीं, बल्कि कला शिक्षा को प्रोत्साहन देने की एक ऐतिहासिक परंपरा है। यह महाविद्यालय और उसके विद्यार्थियों के लिए गौरव का विषय है कि अब हर साल ललित कला के श्रेष्ठ छात्र का नाम इस स्वर्ण पदक से जुड़कर इतिहास में दर्ज होगा।

यह पहल न सिर्फ प्रतिभाशाली छात्रों को सम्मानित करेगी, बल्कि कला की नई पीढ़ी को और ऊँचाइयों तक पहुँचने की प्रेरणा भी देगी।

लेख संकलन : भूपेंद्र कुमार अस्थाना

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Shalini Singh

RJ Shalini Singh is a renowned radio jockey, voice artist, and the Director of Radio Junction. Based in Lucknow, she is known for bringing literature, music, and meaningful conversations to life through her voice, making her a respected name in the world of radio.

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