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पृथ्वी बचाओ – प्रकृति से प्रेम का नाम है संरक्षण

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पृथ्वी बचाओ – प्रकृति से प्रेम का नाम है संरक्षण

 

विशेष प्रस्तुति: रेडियो जंक्शन

धरती… हमारे जीवन की जननी। वह जो हमें छाया देती है, भोजन देती है, हवा देती है, जल देती है – बिना कुछ माँगे। और हम? हमने उसे क्या दिया? प्रदूषण, दोहन, और उपेक्षा। इसी सवाल से टकराता है हर साल 22 अप्रैल को आने वाला विश्व पृथ्वी दिवस, जो केवल एक दिन नहीं, बल्कि चेतना की एक पुकार है – अब भी संभल जाओ, नहीं तो बहुत देर हो जाएगी।

यह लेख पृथ्वी की वर्तमान स्थिति, पर्यावरणीय संकट, वैश्विक और भारतीय स्तर पर किए जा रहे प्रयासों, आम नागरिकों की भूमिका, मीडिया विशेषकर रेडियो की जागरूकता में भूमिका और अंत में एक भावनात्मक अपील को समेटे हुए है। आइए संवेदनशील होकर इस धरती के साथ अपने संबंध को समझें और निभाएँ।

धरती की वर्तमान स्थिति: संकट में नीला ग्रह

हमारी पृथ्वी आज गंभीर पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रही है:

धरती का औसत तापमान दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं, समुद्र का स्तर ऊपर उठ रहा है और सूखे, बाढ़ जैसी आपदाएँ बढ़ रही हैं। वायु प्रदूषण से हर साल लाखों लोग असमय मृत्यु का शिकार हो रहे हैं। प्लास्टिक और अन्य रसायन हमारे जल स्रोतों को जहरीला बना रहे हैं।

जैव विविधता खतरे में है – पक्षी, जानवर, पेड़-पौधे विलुप्ति के कगार पर हैं। 1970 के बाद से पृथ्वी की कुल जैविक जनसंख्या में 60% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। यह केवल पर्यावरण का नुकसान नहीं, बल्कि मानव सभ्यता की भी हानि है।

वैश्विक प्रयास: जब दुनिया ने मिलकर आवाज़ उठाई

पृथ्वी की रक्षा के लिए पूरी दुनिया प्रयासरत है:

पेरिस समझौता (2015) – दुनिया के 195 देशों का मिलकर तापमान वृद्धि को 1.5°C तक सीमित करने का संकल्प।

संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDGs) – जलवायु कार्रवाई, जल और स्थलीय जीवन के संरक्षण जैसे लक्ष्य शामिल।

अक्षय ऊर्जा की ओर रुझान – सौर, पवन और जल ऊर्जा जैसे विकल्पों को अपनाने की दिशा में वैश्विक निवेश।

युवा नेतृत्व – ग्रेटा थनबर्ग जैसे युवाओं ने पर्यावरण के मुद्दे पर वैश्विक नेताओं को झकझोरा है।

भारत की परंपरा और पहल: धरती माँ का देश

भारत में प्रकृति केवल संसाधन नहीं, आराध्य है। गंगा को माँ कहा जाता है, वृक्षों को पूजनीय माना गया है। आधुनिक भारत ने भी कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं:

स्वच्छ भारत मिशन – स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का राष्ट्रीय अभियान।

नमामि गंगे योजना – गंगा नदी के पुनरुद्धार के लिए व्यापक पहल।

प्लास्टिक मुक्त भारत अभियान – एकल उपयोग प्लास्टिक पर रोक और जन-जागरूकता।

अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन – भारत की पहल से विश्व सौर ऊर्जा के लिए एकजुट।

75 अमृत सरोवर योजना – जल संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक पहल।

आम नागरिक की भूमिका: परिवर्तन की शुरुआत अपने से

प्रकृति के साथ हमारा रिश्ता व्यक्तिगत है। यदि हर नागरिक अपनी भूमिका निभाए, तो धरती को बचाया जा सकता है:

हर वर्ष कम से कम एक पौधा लगाएँ और उसकी देखभाल करें।

प्लास्टिक के स्थान पर कपड़े या जूट के थैले अपनाएँ।

पानी का अपव्यय रोकें और वर्षा जल संचयन करें।

अधिक से अधिक पैदल चलें या साइकिल चलाएँ, सार्वजनिक परिवहन अपनाएँ।

कचरे को अलग-अलग करें – गीला और सूखा।

जैविक खाद और पुनः प्रयोग को अपनाएँ।

रेडियो और मीडिया की भूमिका: आवाज़ जो बदलाव लाती है

रेडियो, विशेषकर ग्रामीण भारत में, एक प्रभावशाली और भरोसेमंद माध्यम है। रेडियो जंक्शन जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर्यावरण विषयों पर संवाद, कहानी, गीत और ज्ञान से लोगों को जोड़ते हैं:

स्थानीय भाषाओं और बोलियों में पर्यावरण पर कार्यक्रम।

किसानों के लिए जैविक खेती और जल प्रबंधन की जानकारी।

स्कूलों, कॉलेजों और युवाओं के साथ सहभागिता कार्यक्रम।

सोशल मीडिया के माध्यम से भी पर्यावरणीय अपील का प्रसार।

रेडियो की यही ताक़त है – वह सिर्फ़ सूचना नहीं देता, संबंध बनाता है।

युवा शक्ति: उम्मीद की नई किरण

आज के युवा पर्यावरण को लेकर गंभीर हैं। वे केवल सोशल मीडिया पर पोस्ट नहीं डालते, वे धरातल पर कार्य भी करते हैं:

पर्यावरण क्लब्स और ग्रीन कैंपस मुहिम।

ईको-फ्रेंडली स्टार्टअप्स और अपसाइकलिंग प्रोजेक्ट्स।

समुद्र, नदियों और झीलों की सफाई अभियान।

पर्यावरण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए वर्कशॉप्स।

प्रकृति हमें जीवन देती है, क्या हम उसे जीवन नहीं दे सकते?

“धरती माँ ने कभी मोल नहीं माँगा, बस थोड़ी सी देखभाल चाही है। आओ, हम उसकी गोद फिर से हरी करें – अपने वादों से, अपने कर्मों से।”

निष्कर्ष: पृथ्वी दिवस हर दिन है

पृथ्वी दिवस हमें यह याद दिलाने आता है कि यह ग्रह केवल रहने की जगह नहीं, जीवन का सार है। हमें अब विचार से आगे बढ़कर क्रियाशील होना होगा। एक व्यक्ति का छोटा-सा प्रयास भी जब लाखों में बदलता है, तो परिवर्तन अवश्य होता है।

रेडियो जंक्शन की ओर से हम आपसे यही आग्रह करते हैं:

एक पौधा लगाएँ

जल बचाएँ

प्रकृति को अपनाएँ

पर्यावरणीय जानकारी साझा करें

रेडियो की आवाज़ से बदलाव लाएँ

क्योंकि जब धरती मुस्कराएगी, तभी हम भी मुस्करा सकेंगे।

प्रस्तुति: शालिनी सिंह और टीम रेडियो जंक्शन की ओर से www.radiojunction.in

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Shalini Singh

RJ Shalini Singh is a renowned radio jockey, voice artist, and the Director of Radio Junction. Based in Lucknow, she is known for bringing literature, music, and meaningful conversations to life through her voice, making her a respected name in the world of radio.