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गहनों की कहानी: सौंदर्य नहीं, विज्ञान और ऊर्जा की बेजोड़ भाषा

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गहनों की कहानी: सौंदर्य नहीं, विज्ञान और ऊर्जा की बेजोड़ भाषा

क्या आपने कभी माँ की चूड़ियों की खनक को ध्यान से सुना है?
या दादी की पायल की मीठी सी छनक को महसूस किया है?
इन आभूषणों की आवाज़ों में कोई जादू है… कोई ऊर्जा, जो सीधे दिल को छू जाती है।

हममें से कई लोग गहनों को केवल श्रृंगार का माध्यम मानते हैं — चांदी, सोना, डिजाइन, ट्रेंड। पर सच ये है कि भारतीय परंपरा में गहने सिर्फ खूबसूरती के लिए नहीं, बल्कि एक जीवंत चिकित्सा पद्धति के रूप में भी अपनाए गए हैं।

आज हम इस लेख में समझेंगे कि गहने कैसे हमारी सेहत, ऊर्जा और मानसिक संतुलन को प्रभावित करते हैं, और क्यों हमारी नानी-दादी, माँ और अब हम भी उन्हें एक खास तरह की शारीरिक और आत्मिक सुरक्षा के रूप में पहनते आए हैं।

1. चूड़ियाँ: ऊर्जा का वृत

चूड़ियाँ कलाई में पहनने वाला एक आम गहना हैं, लेकिन इसका असर शरीर पर बेहद खास होता है।
जब ये एक-दूसरे से टकराती हैं, तो सिर्फ खनकती नहीं — बल्कि हमारी कलाई की नसों को हल्का घर्षण देकर रक्तसंचार को सक्रिय करती हैं।

यह क्रिया शरीर में ऊर्जा के प्रवाह को बनाए रखती है और थकावट को दूर करती है।
परंपरागत रूप से लाल और हरी चूड़ियाँ सबसे प्रभावशाली मानी जाती हैं — एक जीवनशक्ति देती है, तो दूसरी मन को शांत करती है।

ध्यान रखें: टूटी-फूटी चूड़ियाँ पहनना वर्जित माना गया है, क्योंकि उनसे ऊर्जा का प्रवाह बाधित होता है।

2. बिछिया: सौंदर्य नहीं, संतान की सेहत का प्रहरी

शादी के बाद महिलाएं पैरों की उँगलियों में जो बिछिया पहनती हैं, वो सिर्फ विवाहित होने का प्रतीक नहीं है।
यह सीधे-सीधे प्रजनन तंत्र और हार्मोन संतुलन से जुड़ा होता है।

बिछिया उन नसों को दबाव देती है जो गर्भाशय, मासिक धर्म और थायरॉयड से जुड़ी होती हैं। यह एक प्रकार का प्राकृतिक एक्यूप्रेशर टूल है।

विशेषकर मछली के आकार की बिछिया (बीच में गोल, किनारों पर नुकीली) सबसे असरदार मानी गई है।


3. पायल: छनकती रक्षा कवच

पायल की मधुर ध्वनि केवल संगीत नहीं रचती, यह एक ऊर्जा कवच की तरह कार्य करती है।

चांदी की बनी पायल शरीर की विद्युत ऊर्जा को वापस ग्रहण करती है और उसे शरीर में स्थिर करती है।
यह पैरों की हड्डियों को मजबूत बनाती है, और चांदी की ठंडक मन को भी ठंडक देती है।

सावधानी: सोने की पायल पहनने से शरीर की गर्मी का संतुलन बिगड़ सकता है — जिससे पैरों में दर्द या थकान महसूस हो सकती है।


4. अंगूठी: हर उंगली का अपना विज्ञान

अंगूठी पहनना स्टाइल का हिस्सा भले हो, लेकिन हर उंगली का एक विशिष्ट अंग से संबंध होता है — जैसे कि:

तर्जनी (index) उंगली: पाचन तंत्र
मध्यमा (middle): परिसंचरण
अनामिका (ring): हृदय और भावनात्मक संतुलन
कनिष्ठा (little finger): गुर्दा और मूत्राशय

सही धातु (जैसे चांदी, तांबा) और सही उंगली में अंगूठी पहनना शरीर के ऊर्जा केंद्रों को संतुलित करता है।

अगर अंगूठी में रत्न भी हो, और वो सही उंगली में, सही विधि से पहना गया हो — तो यह तनाव, भय, अनिद्रा और पाचन जैसी कई समस्याओं में राहत देता है।

5. कर्णछेदन और कुंडल: वाणी और विवेक के रक्षक

भारत में कान छेदन (कर्णछेदन) की परंपरा बहुत पुरानी है। यह महज श्रृंगार नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और मानसिक थैरेपी है।

कान के कुछ विशिष्ट बिंदु हमारे वाणी, तंत्रिका तंत्र और निर्णय क्षमता से जुड़े होते हैं।
जब इन बिंदुओं को छेदा जाता है, तो यह बुद्धिशक्ति को बढ़ाता है और विचारों को स्पष्ट करता है।

आजकल विदेशों में भी इसे एक थैरेप्यूटिक बॉडी आर्ट की तरह अपनाया जा रहा है।


6. करधनी: कमर की अनदेखी योद्धा

करधनी — यानी कमर पर बाँधी जाने वाली चेन या पेटी — स्त्रियों में मूलाधार चक्र को जाग्रत करने में सहायक मानी जाती है।

यह चक्र शरीर के सबसे मूल स्थान पर होता है और रीढ़, गुर्दा, मूत्राशय, प्रजनन और जठर अग्नि से जुड़ा होता है।

करधनी से:

सर्दियों में सुस्ती कम होती है

कमर दर्द से राहत मिलती है

शारीरिक लचीलापन और संतुलन बना रहता है

परंपरा, विज्ञान और स्त्री की ऊर्जा

गहने हमारे समाज में स्त्री की पहचान रहे हैं, लेकिन वह पहचान केवल बाहरी नहीं है।
यह भीतर तक गहरे उतरती है — शरीर, मन और आत्मा तक।

इन आभूषणों में समाया है:

नारी का प्रेम

विज्ञान की बारीकी

परंपरा की गहराई

स्वास्थ्य की सुरक्षा

अब वक्त है — दोबारा अपनाने का

आज जब हम आधुनिकता की चमक में पुराने रिवाजों को भूलते जा रहे हैं —
तो क्यों ना अपने गहनों को फिर से अपनाएं, लेकिन इस बार समझदारी के साथ?

क्योंकि अब हम जानते हैं —
ये श्रृंगार नहीं, सुरक्षा हैं।
ये चुपचाप बोलते हैं — हमारी सेहत की कहानी।

लेखिका: शालिनी सिंह
रेडियो जॉकी और रेडियो जंक्शन की मैनेजिंग डायरेक्टर

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Shalini Singh

RJ Shalini Singh is a renowned radio jockey, voice artist, and the Director of Radio Junction. Based in Lucknow, she is known for bringing literature, music, and meaningful conversations to life through her voice, making her a respected name in the world of radio.

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