कभी आपने गौर किया है… कि सन्नाटा भी बोलता है… और कभी-कभी मौन… सबसे ऊँची आवाज़ बन जाता है?
जब दुनिया शोर में डूबी हो, तब कोई एक व्यक्ति… जो मौन साधे… सिर्फ़ अपने भीतर उतर रहा हो… वो क्रांति का बीज बोता है।
आज की चर्चा उसी शांति के प्रतिनिधि के नाम – जिनका जीवन और दर्शन आज भी आत्मा को छू जाता है। वे हैं भगवान महावीर – जिन्होंने दिखाया कि धर्म न बाहर होता है, न किसी दीवार के भीतर, बल्कि… वो हमारे भीतर की करुणा, क्षमा और संयम की अभिव्यक्ति है।
महावीर जयंती, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्मोत्सव है। यह केवल एक पर्व नहीं, आत्मा की गहराई से जुड़ने का एक उत्सव है। भारतवर्ष में यह दिन आस्था, साधना और आत्मावलोकन का दिन माना जाता है।
भगवान महावीर का जीवन त्याग, तपस्या और अहिंसा का प्रतीक रहा है। उन्होंने न केवल सांसारिक मोह से स्वयं को मुक्त किया, बल्कि समाज को भी उस मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी, जहाँ मनुष्य अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के सिद्धांतों पर चल सके।
उनके सिद्धांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने हजारों वर्ष पूर्व थे:
- अहिंसा (Non-Violence): हर जीव में आत्मा है और उसे आघात देना स्वयं को आहत करना है।
- सत्य (Truth): सत्य को जीना, बोलना और सोचने में धारण करना।
- अपरिग्रह (Non-Possessiveness): जितना जरूरी हो, उतना ही संग्रह करना। त्याग में ही संतुलन है।
- अनेकांतवाद (Multiplicity of views): हर विषय को अनेक दृष्टिकोणों से देखना और स्वीकारना।
महावीर का दर्शन आज की भागती दुनिया को विराम देना सिखाता है। मानसिक तनाव, असहिष्णुता, पर्यावरण संकट जैसे मुद्दों पर उनके सिद्धांत गहरी राहत और समाधान देते हैं।
आज जब हम तकनीक की दुनिया में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, ऐसे में भगवान महावीर का जीवन हमें भीतर की यात्रा का महत्व समझाता है। बाहरी विकास तभी सार्थक है जब आत्मा भी परिष्कृत हो।
सरकार द्वारा शुरू की गई ऑनलाइन होम्योपैथिक सेवाएँ भी इसी दिशा में एक सकारात्मक कदम हैं, जहाँ हर नागरिक को सरल और सुरक्षित स्वास्थ्य सेवा मिले – और यह सुविधा आध्यात्मिक स्वास्थ्य की ओर एक सहयोगी माध्यम भी बन सकती है।
निष्कर्ष:
महावीर जयंती महज़ कोई परंपरा नहीं, यह आत्मा को जागृत करने का दिन है। आइए, आज हम सभी महावीर के आदर्शों को अपने जीवन में उतारें – और स्वयं को एक बेहतर, शांत और करुणामय इंसान के रूप में ढालें।